________________
इतिहास महिलाओंमें जहाँ राजघरानेकी महिलाएँ स्मरणीय हैं वहाँ साधारण घरानेकी स्त्रियोंकी सेवाएँ भी उल्लेखनीय हैं।
सबसे प्रथम परमगूलकी पत्नी कंदाच्छिका नाम उल्लेखनीय है। उसने श्रीपुर नामक स्थानके उत्तरी भागमें एक जैनमन्दिर बनवाया था। परमगृलकी प्रार्थनापर गंगनृपति श्रीपुरुषने इस मन्दिरको एक प्राम तथा कुछ अन्य भू-भाग प्रदान किये थे। इस महिलाका गंग राजपरिवारपर काफी प्रभाव था। दूसरी उल्लेखनीय महिला जक्कियब्वे है। यह सत्तरस नागार्जुनकी पत्नी थी जो नागर खण्डका शासक था। पतिके मरनेपर राजाने 'उसकी जगह उसकी पत्नीको नियुक्त किया। पत्नीने अपूर्व साहस और वीरताका परिचय दिया और सल्लेखना पूर्वक प्राणोंका त्याग किया।
ईसाकी दसवीं शतीमें पश्चिमी चालुक्य राजा तैलपका सेनापति मल्लप्प था। उसकी पुत्री अत्तिमव्वे आदर्श धर्मचारिणी थी। उसने अपने व्ययसे सोने और कीमती पत्थरों की डेढ़ हजार मूर्तियाँ बनवाई थां । राजेन्द्र कोंगाल्वकी माता पोचव्वरासिने ई० १०५० में एक वसदि बनवाई थी।
कदम्बराजा कीर्तिदेवकी प्रथम पत्नी माललदेवीका स्थान भों धर्मप्रेमी महिलाओं में अत्यन्त ऊँचा है । इसने १०७७ ई० में पद्मनन्दि सिद्धान्तदेवके द्वारा पार्श्वनाथ चैत्यालय बनवाया और प्रमुख ब्राह्मणोंको आमंत्रित करके उन्होंके द्वारा उस जिनालयका नामकरण 'ब्रह्मजिनालय' करवाया।
नागर खण्डके धार्मिक इतिहास में चट्टल देवीका खास स्थान है । यह सान्तर परिवारकी थी। सान्तर परिवार जैनमतावलम्बी था और उसका धर्मप्रेम विख्यात है। इस महिलाने सान्तरोंकी राजधानी पोम्वुच्चपुरमें जिनालयोंका निर्माण कराया और अनेक परोपकार सम्बन्धी कार्य किये।
यहाँ दक्षिण भारतके राजनैतिक इतिहासके सम्बन्धमें थोड़ा प्रकाश डालना उचित होगा । गंग राजाओंने मैसूरके एक बहुत