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विविध
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ने पत्थरको मोम कर दिया है। करीब २०० शिल। गुफाओंके उत्कीर्ण हैं । ८ मनोहर मानस्तंभ हैं । प्राकृतिक सौन्स प्राप्त अनुपम है । यहाँसे ६ मीलपर चाँदपुर स्थान है । वहाँ भी अ.. जैनमूर्तियाँ है जिनमें १४ गज ऊँची एक मूर्ति शान्तिनाथ तीर्थङ्करकी है ।
पपौरा - विंध्यप्रान्तमें टीकगमढ़से कुछ दूरीपर जंगलमें यह क्षेत्र स्थित है । उसके चारों ओर कोट बना है। जिसके अन्दर लगभग ९० मन्दिर हैं । एक वीर विद्यालय भी है। कार्तिक सुदी १४ को प्रतिवर्ष मेला भरता है ।
अहार - टीकमगढ़से ९ मीलपर अहार गाँव है। वहाँसे करीब ६ मीलपर एक ऊजड़ स्थानमें तीन दिगम्बर जैन मन्दिर हैं । एक मन्दिरमें २१ फुटकी ऊँची शान्तिनाथ भगवानकी अति मनोज्ञमूर्ति विराजमान है जो खण्डित है किन्तु बाद में जोड़कर ठीक की गई है। यह प्रतिमा वि० सं० १२३७ में प्रतिष्ठित की गई थी । इन मन्दिरोंके सिवा यहाँ अन्य भी अनेक मन्दिर बने हुए थे, किन्तु बादशाही जमाने में वे सब नष्ट कर दिये गये और अब अगणित खण्डित मूर्तियाँ वहाँ वर्तमान हैं। क्षेत्र कलाप्रेमियोंके लिये भी दर्शनीय है। अब यहाँ एक पाठशाला भी चालू है।
चन्देरी - यह ललितपुरसे बीस मील है । यहाँ एक जैन मन्दिरमें चौबीस वेदियाँ बनी हुई हैं और उनमें जिस तीर्थङ्करके शरीरका जैसा रंग था उसी रंगको चौबीसों तीर्थङ्करोंकी चौबीस मूर्तियाँ विराजमान हैं। ऐसी चौबीसी अन्यत्र कहीं भी नहीं है । यहाँसे उत्तर में ९ मीलपर बूढ़ी चन्देरी है । यहाँपर सैकड़ों जैन मन्दिर जीर्णशीर्ण दशामें हैं, जिनमें बड़ी ही सौम्य और चित्ताकर्षक मूर्तियाँ हैं ।
पचराई – चन्देरीसे ३४ मील खनियाधाना स्थान है और वहाँसे ८ मीलपर पचराई गाँव है । यहाँपर २८ जिनमन्दिर हैं