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________________ जैनदार्शनिक साहित्य अकलङ्कदेव maruस्त्रय ( वि० ७०० ) ( स्ववृत्तिसहित ), न्यायविनिश्चय ( न्यायविनिश्चय विवरणसे उदूष्टत ), प्रमाणसंग्रह सिद्धिविनिश्चय ( सिद्धिविनिश्चय कासे उत), अष्टशती ) ( आप्तमीमांसाको टीका प्रमाणलक्षण ( ? ) कुमारसेन ( वि० ७७० ) कुमारनन्दि (वि० ८ वीं) वादीभसिंह स्याद्वादसिद्धि (बि० ८ वीं०) नवपदार्थनिश्चय अनन्तवीर्य (वृद्ध) सिद्धिविनिश्चयटीका (बि० ८-९वीं) ५७९ वादन्याय प्रकाशित ( अकलमन्यत्रयमें) प्रकाशित ( अकलङ्कमन्यत्रयमें) प्रकाशित ( अकलङ्कमन्यत्रयमें) प्रकाशित तत्त्वार्थवार्तिक ( तत्त्वार्थसूत्रकी टीका ) [जिनदासने निशीथचूर्णिमें इन्हींके सिद्धिविनिश्चयका उल्लेख दर्शनप्रभावक शास्त्रों में किया है ] प्रकाशित मैसूरकी लाइब्रेरी तथा कोचीनराज पुस्तकालय तिरूपुणिट्टणमें उपलब्ध प्रकाशित जिनसेन द्वारा महापुराण मैं स्मृत विद्यानन्दद्वारा प्रमाण परीक्षा में उल्लिखित प्रकाशित मूडबिद्री मंडारमें उपलब्ध रविभद्रपादोपजीवि धनन्तवीर्यद्वारा सिद्धिविनि श्चमटीकामें उल्लिखित
SR No.010346
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1966
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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