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________________ " ५७८ जैनदर्शन समन्तभद्र आतमीमांसा प्रकाशित (वि० २-३री) युक्त्यनुशासन बृहत्स्वयम्भूस्तोत्र जीवसिद्धि 'पार्श्वनाथचरित' में वादिराजद्वारा उल्लिखित सिद्धसेन सन्मतितर्क प्रकाशित (वि० ४-५वीं) ( कुछ द्वात्रिंशतिकाएँ देवनन्दि सारसंग्रह धवला-टीकामें उल्लिखित (वि० ६वीं) श्रीदत्त जल्पनिर्णय तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकमें (वि० ६वीं) विद्यानन्दद्वारा उल्लि खित । सुमति सन्मतितर्कटीका पार्श्वनाथचरितमें वादि(वि० ६वीं) राजद्वारा उल्लिखित सुमतिसप्तक मल्लिषेण-प्रशस्तिमें निर्दिष्ट [इन्हींका निर्देश शान्तरक्षितके तत्वसंग्रहमें 'सुमतेर्दिगम्बरस्य' के रूपमें है] पात्रकेसरी विलक्षणकदर्थन अनन्तवीर्याचार्य द्वारा (वि० ६वीं) सिद्धिविनिश्चय टीकामें उल्लिखित पात्रकेसरी-स्तोत्र प्रकाशित [इन्हींका मत शान्तरक्षितने तत्त्वसंग्रहमें 'पानस्वामि' के नामसे दिया है। बादिसिंह वादिराजके पार्श्वनाथ(६-७वीं) चरित और जिनसेनके महापुराणमें स्मृत
SR No.010346
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year1966
Total Pages639
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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