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मोऽत्थु ण समरणस्स भगवओ महावीरस्स
॥ जैन - शास्त्र-माला - पञ्चमरत्नम् ॥
जैनागमों में स्याद्-वाद
संग्राहकजैनधर्मदिवाकर, साहित्य रत्न, जैनागमरत्नाकर,
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श्रीमज्जैनाचार्य पूज्य श्री आत्मारामजी
महाराज
प्रति १००० प्रथम वार
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जैन शास्त्रमाला - कार्यालय जैनस्थानक, लुधियाना
वीर स० ०४७७ विक्रम स० २००८
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मूल्य लागतमात्र 1)