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श्री प्रज्ञापनोपाग पञ्चम पर्यायपदम् ___ को हि भाव पुद्र नवृत्तिपि भवनि, नतो जीवाजीव देनॉटयिकभावग्य दृषि यान्न मन्बन्ध रूपननिर्वचनत्र योर्विरोध । मम्प्रति सम्बन्ध ( पर्याय ) परिमारगावगमाय पृ-ति-'जीवपजवा ग मते । किं सब जा' मृत्यादि, दर यम्मानपनिमिद्धवजी सर्व पि नैरयिकाढय प्रन्ये काम, न्येया मनवमन्ययन्त्र मन्छिममनुष्यापेनया वनापनय मिहान प्रमनन्ता नन पर्यायिगाम नन्नार भवन्न्यनन्ना जीवप गंया ॥ नदेव गौतमेन मामान्यना जीव पर्वाचा पृष्टा भगवानपि मामान्चेन निर्वचनगुनगान , इदानी विपविषय प्रश्न गौतम'प्रारमलम-नेरइयागं भंते । केवडयो पजवा पनना ,
गायमा । अयंतापज्जवा पन्नता. मे रंगटटंग भत ! एव युगा नेग्डयागं अगता पजया पवना, गोयमा । नेडा नेडियम दबयाए तुल्ने पानहयात नुमने गोपाहण्टटा मिव हींग गिय तुल्ने मित्र :गि उर हीरो मानिन्जाभानीने या माग्विज मागही या पनि गुनाशि वापस विसगुनहरा हा दर सभा निजामागमाना या दिनानागा या नविन गमणि का रEिET. वा. रिश चिपियन मिया