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________________ श्री भगवनी मृत उत्थेगटयाणं जीवाणं सुनन माह अन्धेगतियारण जीवारा जागग्विन माह से कंगण मने ! एवं युच्चड अत्धेगव्याण जाच माह १, जयंती । जे इमे जीवा अहम्मिया यहम्माणुया अहम्मिटा अहम्म खाई ग्रहम्मपलोई अहम्मपत्नजमाणा ग्रहम्म समुदायारा हम्मेणं चेव विनि कप्पमागा विहर्गनि पानि ण जीवाण सुत्तन माह, एए ण जीवा मुत्ता नमागा नो बहाणं पागभूय जीवन नाणं दव खगया मायणयाए जाच पग्यिावण्याप वट्टनि. पण जीवा सुत्ता नमाणो सप्पाणं या परं वा तदुभयं या नी बहहिं अहम्मियाहि माजोयणादि मंजोग लागे भवंति, एपनि जीवारगं मुत्तन माह जयती। जटमे जाया धम्मिया धम्माणुया जाय धम्मेणं चर पिनि कापमाणा विहरनि एमिग जीवाग जागाग्य माह पए ण जीचा जाग नमागा वगं पाया जाव मचाण मरणयाए नाव अपरियायनियाए यह नि. ने गंजीचा जागग्गामा शप्पा परं या नद व वा हि धम्मियात पाहिं गंडाएनागे नि. पा र कोदा जागामाला धम्मजागस्थिर पर डागरमागे पति,
SR No.010345
Book TitleJainagamo me Syadvada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherJain Shastramala Karyalaya Ludhiyana
Publication Year
Total Pages289
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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