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श्री भगवती मृत्र
जहा णं देवाणुप्पियाणं बहवे अनेवामी ममणा निग्गंथा छउमत्या भवेत्ता छउमन्यावक्मणण प्रवक्ता णो खलु ग्रह नहीं छउमन्ये मवित्ता छउमत्थावकामणेण अवमिए अहन्न उप्पन्नणारणदनणधरे अरहा जिगे केवली भविता केवलिअवस्कमणणं अवक्कमिए, तए णं भगवं गोयमे जमालि अणगार एवं वयामी-एो खल जमाली ?, कंवलिम्स णाणे वा दंगणे वा सेलमि वा थमंसि वाभामि वा आवग्ज्जिड वा णिवाग्जिट वा, जट ण तुम जमाली। उपन्नणाणदंगणधर अरहा जिर्ग केवली भविचा केवलि प्रवक्कमणेग्ण अवक्कने तो णं इमाई दा वागरणाई वागरेहि-मामाए लोए जमाली । अगामा लोए जमानी . मामा जीव जमाली। श्रमामय जीवे जमाली :.
त से जमाली 'अणगारे भगवया गोधमण एवं जनमा संकिए करिवाए जाब कन मनमायन्ने जाए याति होत्या. गणो चापनि भगवत्री गोयमम्म किंचिति पमोक्षमार विपना तुमिए चिटटट जमानानि ममणे भगवं महावीरे उमालि गाय वयानी - सन्धि रण जमाली मन यह संदेवानी माता