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सूक्ति-सुधा]
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( २१) जहा कडं कम्म तहा ले भारे ।
सू०, ५, २६, उ, १ टीका-पूर्व जन्म मे जिसने जैसे कर्म किये है, उन कर्मों के अनुसार ही उसे पीड़ा प्राप्त होती है । यथा कर्म-तथा फलं, इसलिये दुःख के समय धैर्य और सतोप रखना चाहिये।
(२२) जे जारिस पुत्र मकासि कस्म, तमेव आगच्छति संपराए ।
सू०, ५, २३, उ, २ टीका-प्राणियो ने पूर्व जन्म में जेसी स्थिति वाले तथा जैसे प्रभाव वाले जघन्य, मध्यम और उत्कृष्ट कर्म किये है, दूसरे जन्म मे वैसी ही स्थिति वाले और वैसे ही प्रभाव वाले जघन्य, मध्य और सयोग-वियोग रूप फल पाते है । इसलिये विचार कर काम करना चाहिये, जिससे इस लोक और पर लोक मे शाति मिले ।
( २३ ) कम्मी कम्महिं किच्चतो। .
. सू०, ९, ४ टीका-पाप कर्म करने वाला अकेला ही पाप कर्मों के फल को ‘भोगता है । उसमे हिस्सा वटाने के लिये न तो कोई समर्थ है और न कोई हिस्सा बटाने के लिये ही आता है।
। २४ । वाला बेदति कम्माइं पुरे कडाई।
सू०, ५, १, उ; २ टीका-विवेक-भ्रष्ट और अनीति के मार्ग पर चलने वाले अज्ञानी मनुष्य पूर्व जन्म मे किये हुए अपने कर्मों का फल अवश्य