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सूक्ति-सुधा]
[१६१ करते हुए हित शिक्षा देने वाले गुरु । २ द्राक्ष के समान अधिक मधुर वचनो का प्रयोग करते हुए और उपालभ रूप शब्दों का अति सूक्ष्म ही प्रयोग करने वाले शिक्षा-दाता गुरु देव दूसरे प्रकार के आचार्य है। ३ क्षीर के समान अति मधुर शब्दो का प्रयोग करके हित-शिक्षा देने वाले गुरु तीसरे प्रकार के है। ४ शक्कर के समान सर्वथा मधुरमधुर शब्दो का प्रयोग करते हुए ही हित-शिक्षा देने वाले आचार्य चौथे प्रकार के गुरु देव है।'