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सूक्ति-सुधा ]
( ४० ) सं न वूया मुणि अत्तगामी 1
सू०, १०, २२
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टीका वीतराग देव के मार्ग पर चलने की इच्छा रखने वाला मुनि - कल्याण का अभिलाषी साघु कभी भी झूठ नही वोले । झूठ के साथ आत्म-विकास का होना आकाश-कुसुम के समान सर्वथा असंभव वस्तु है।
( ४१ ) जं वदित्ता अणुतप्पती ।
सू०, ९, २६
टीका - जिस भाषा को बोल कर अथवा जिन शब्दो को बोल कर पश्चाताप करना पडे, खेद उठाना पड़, ऐसे शब्द और ऐसी भाषा कदापि नही बोलनी चाहिये । -
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अविचार -पूर्वक वोलने वाला मूर्ख कहा जाता है, और वह . पाप का एवं अनादर का भागी बनता है |
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.( ४२ )
श्रविस्सा तो श्रभू श्राणं, तम्हा मोसं विवज्जए ।
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द०, ६, १३
टीका- झूठ से कोई भी विश्वास नही करता है, इसलिये - सदैव झूठ से दूर ही रहना चाहिये ।
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- ( ४३ )
हिंसगं न मुसं चूआ । -दे०, ६, १२
टीका - हिंसा पैदा करने वाला और स्व-पर को कष्ट देने वाला झूठ नही वोले । झठ आत्मा के पतन का मूल कारण है 1.