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जैनागम स्तोक सग्रह उसे बादर पृथ्वीकाय कहते है। इसके दो भेद-१ सुवाली
(कोमल), २ खरखरी (कठिन) व (कठोर)। १ कोमल के सात भेद
१ काली मिट्टी, २ नीली मिट्टी, ३ लाल मिट्टी, ४ पीली मिट्टी, ५ श्वेत मिट्टी, ६ गोपी चन्दन की मिटटी, ७ परपड़ी (पण्डु) मिट्टी,।
___ कठोर पृथ्वी बादरकाय के २२ भेद १ खदान की मिट्टी, २ मुरड कंकर (मरडिया) की मिट्टी, ३ रेत-वालु की मिट्टी, ४ पाषाण-पत्थर की मिट्टी ५ बड़ी शिलाओं की मिट्टी, ६ समुद्र की क्षारी (खार), ७ नमक की मिट्टी, ८ तरुआ की मिट्टी, ६ लोहे की मिट्टी १० शीशे की मिट्टी, ११ ताम्बे की मिट्टी, १२ रूपे (चांदी) की मिट्टी, १३ सोने की मिट्टी, १४ वज्र हीरे की मिट्टी, १५ हरिताल की मिट्टी, १६ हिंगुल की मिट्टी, १७ मनसील की मिट्टी १८ पारे की मिट्टी, १६ सुरमे की मिट्टी, २० प्रवाल की मिट्टो, २१ अभ्रक (भोडल) की मिट्टी, २२ अभ्रक के रज की मिट्टी। १८ प्रकार के रत्न :
१ गोमी रत्न, २ रुचक रत्न, ३ अङ्क रत्न, ४ स्फटिक रत्न, ५ लोहिताक्ष रत्न, ६ मरकत रत्न, ७ मसगल (मसारगल) रत्न, भुजमोचकरत्न , ६ इन्द्रनील रत्न, १० चन्द्र नील रत्न, ११ गेरुड़ी (गेरुक) रत्न, १२ हस गर्भ रत्न, १३ पोलाक रत्न, १४ सौगन्धिक रत्न, १५ चद्रप्रभा रत्न, १६ वेरुली रत्न, १७ जलकान्त रत्न, १८ सूर्यकान्त रत्न, एवं सर्व ४७ प्रकार को पृथ्वी काय ।