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________________ जैनागम स्तोक संग्रह ७ आरंभिया क्रिया के दो भेद : १ जीव आरंभिया २ अजीव आरंभिया। १ जीवो का आरम्भ करे तो जीव आरंभिया क्रिया लगे। २ अजीव का आरम्भ करे तो अजीव आरभिया क्रिया लगे । ८ पारिग्गहिया क्रिया के दो भेद : १ जीवपारिग्गहिया, २ अजीव पारिग्गहिया। १ जीव का परिग्रह रक्खे तो जीव पारिग्गहिया क्रिया लगे। २ अजीव का परिग्रह रक्खे तो अजीव पारिग्गहिया क्रिया लगे ६ मायावत्तिया क्रिया के दो भेद : आयभाव वंकणया, २ परभाव वंकणया । १ स्वयं आभ्यन्तर वांकां (कुटिल) आचरण आचरे तो आयभा वंकणया क्रिया लगे। २ दूसरों को ठगने के लिए वांकां (कुटिल) आचरण आचरे । परभाव वंकणया क्रिया लगे । १० मिच्छादसण वत्तिया क्रिया के दो भेद : १ उणाइरित्तमिच्छादसण वत्तिया, २ तवाइरित्तमिच्छादसण वत्तिया । १ कम ज्यादा श्रद्धान करे तथा प्ररूपे तो उणाइरित मिच्छादसण वत्तिया क्रिया लगे। २ विपरीत श्रद्धान करे तथा प्ररूपे तो तवाइरित मिच्छादंसरा वत्तिया क्रिया लगे।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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