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________________ नारकी का नरक वान नरक के २१ द्वार :-१ नाम, २ गोत्र, ३ (जाड़ापना) ऊंचाई, ४ चौड़ाई, ५ पृथ्वी पिण्ड, ६ करण्ड, ७ पाथड़ा, ८ आन्तरा, ६ पाथडा-पाथड़ा का आन्तरा (अन्तर), १० घनोदधि, ११ घनवायु. १२ तनवायु, १३ आकाश, १४ नरक-नरक का अन्तर, '१५ नरकवासा, १६ अलोक अन्तर, १७ वलिया, १८ क्षेत्र वेदना, १६ देव वेदना, २० वैक्रिय, २१ अल्पबहुत्व द्वार । __ नाम द्वार : १ घम्मा, २ वशा, ३ शोला, ४ अञ्जना, ५ रोठा, ६ मघा ७ माघवती। ___गोत्र द्वार . १ रत्न प्रभा, २ शर्करा प्रभा, ३ वालुप्रभा, ४ पङ्क प्रभा, ५ धूम प्रभा, ६ तम प्रभा, ७ तमतमा (महातम प्रभा)। जाडापना द्वार : प्रत्येक नरक एकेक राजु जाडो है। चौडाई १ ली नरक १ राजु चौडो, २ रो २॥ राजु, ३ री ४ राजु, चौथी ५ राजु, पाँचवी ६ राजु, छट्ठी ६।। राजु और ७ वी नरक ७ राजु चौडी है। परन्तु नेरिये १ राजु विस्तार मे ( त्रस नाल प्रमाण ) ही है। पृथ्वी पिण्ड द्वार . प्रत्येक नरक असख्य २ योजन की है, परन्तु पृथ्वी पिन्ड पहली नरक का १८०००० यो०, दूसरी का १३२००० यो०, तीसरी का १२८००० यो०, चौथी का १२०००० यो०, पांचवी का ११८००० यो०, छट्ठी का ११६००० योजन और सातवी का १०८००० योजन का पृथ्वी पिण्ड है। ५१७
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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