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________________ ४५४ जैनागम स्तोक सग्रह १० नय द्वार : अंश ज्ञान को नय कहते है। नय ७ है इनके नाम :-१ नैगम, २ सग्रह, ३ व्यवहार, ४ ऋजु सूत्र, ५ शब्द, ६ समभिरूढ और ७ एवंभूत नय। इन सातों नय वालो की मान्यता कैसी है ? यह जानने के लिये जीव द्रव्य ऊपर ७ नय उतारे जाते है। १ नैगम नय वाला-जीव कहने से जीव के सब नामो को ग्र० करे २ संग्रह , , , असंख्य प्रदेशो को , : व्यवहार , त्रस स्थावर जीवो को , ४ ऋजु सूत्र, सुखदुख भोगनेवाले जीव , ५ शब्द , क्षायक समकिती जीव , ६ समभिरूढ , केवल ज्ञानी , , ७ एवंभूत ,, - सिद्ध अवस्था के , , इस प्रकार सातों ही नय सब द्रव्यों पर उतारे जा सकते है। ११ निक्षेप द्वार :-निक्षेप ४-१ नाम, २ स्थापना, ३ द्रव्य, ४ भाव निक्षेप। (१) द्रव्य के नाम मात्र को नाम निक्षेप कहते है। (२) द्रव्य की सदृश तथा असदृश स्थापना की आकृति को स्थापना निक्षेप कहते है । (३) द्रव्य की भूत तथा भविष्य पर्याय को वर्तमान में कहना सो द्रव्य निक्षेप । (४) द्रव्य की मूल गुण युक्त दशा को भाव निक्षेप कहते है । षटद्रव्य पर ये चारो ही निक्षेप भी उतारे जा सकते है। १२ गुण द्वार --प्रत्येक द्रव्य में चार २ गुण है। १ धर्मास्तिकाय में ४ गुण-अरूपी, अचेतन, अक्रिय चलन सहा० २ अधर्मास्ति , , , , , स्थिर , ३ आकाशास्ति , , " , ,, अवगाहन दान ४ जीवास्ति काय में , चैतन्य, सक्रिय और उपयोग, ज्ञान, दर्शन, चारित्र और वीर्य ।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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