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________________ जैनागम स्तोक संग्रह ४०८ दृष्टि से विचार करने योग्य है कि इस प्रभावना से क्या शासन की प्रभावना होती है अथवा इससे कितना लाभ ? इसका स्वय वुद्धिमान विचार कर सकते है । यदि प्रभावना से हमारा सच्चा अनुराग और प्रेम होवे तो छोटी २ तत्वज्ञान की पुस्तकों को बाट कर प्रभावना करे कि जिससे अपने भाइयो को आत्म ज्ञान की प्राप्ति हो । ६, आगार ६ भेद–( १ ) राजा का आगार, ( २ ) देवता का आगार, (३) जाति का आगार, ( १ ) माता-पिता व गुरु का आगार, ( ५ ) वलात्कर ( जबर्दस्ती ) का आगार, ( ६ ) दुष्काल में सुखपूर्वक आजीविका नही चले तो इसका आगार । इन छ. प्रकारो के आगार से कोई अनुचित कार्य करना पड़े तो समकित दूषित नही होता । १०, जयना के ६ भेद - ( १ ) आलाप - स्वधर्मी भाइयो के साथ एक बार बोले, ( २ ) संलाप - स्वधर्मी भाइयो के साथ वारम्वार बोले, ( ३ ) मुनि को दान दे अथवा स्वधर्मी भाइयो की वात्सल्यता करे ( ४ ) एव वारम्बार प्रतिदिन करे, ( ५ ) गुणी जनो का गुण प्रगट करे, ( ६ ) तथा वंदना नमस्कार बहु- मान करे । १९, स्थानक के ६ प्रकार - ( १ ) धर्म रूपी नगर तथा समकित रूपी दरवाजा, (२) धर्म रूपी वृक्ष तथा समकित रूपी धड, (३) धर्म रूपी प्रासाद ( महल ) तथा समकित रूपी नीव ( बुनियाद ), ( ४ ) धर्म रूपी भोजन तथा समकित रूपी थाल, ( ५ ) धर्म रूपी माल तथा समकित रूपी दुकान, ( ६ ) धर्म रूपी रत्न तथा समकित रूपी मंजूषा ( सन्दूक या तिजोरी ) | १२, भावना के ६ भेद - ( १ ) जीव चैतन्य लक्षण युक्त असख्यात प्रदेशी निष्कलङ्क अमूर्त है । ( २ ) अनादि काल से जीव और कर्मो का संयोग है। जैसे—–दूध मे घी, तिल में तेल, धूल में धातु, फूल मे सुगंध, चन्द्र की कान्ति में अमृत आदि के समान अनादि संयोग है ।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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