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________________ छः लेश्या (श्री उत्तराध्ययन सूत्र, ३४ वा अध्ययन) छ लेश्या के ११ द्वार-१ नाम २ वर्ण ३ रस ४ गध ५ स्पर्श ६ परिणाम ७ लक्षण ८ स्थानक ६ स्थिति १० गति ११ चवन । १ नाम द्वार :-१ कृष्ण लेश्या २ नील लेश्या ३ कापोत लेश्या १ तेजो लेश्या ५ पद्म लेश्या ६ शुक्ल लेश्या। २ वर्ण द्वार ---कृष्ण लेश्या का वर्ण जल सहित मेघ समान काला तथा भैस के सीग समान काला, अरीठे के वीज समान, गाड़ी के खंजन ( काजली ) समान और आँख की कीकी समान काला। इनसे भी अनन्त गुणा काला। ___ नील लेश्या-अशोक वृक्ष, चास पक्षी की पांख और वैड्र्य रत्न से भी अनत गुणा नीला इस लेश्या का वर्ण होता है । कापोत लेश्या-अलसी के फूल, कोयल की पाख, कबूतर की गर्दन कुछ लाल कुछ काली आदि । इनसे भी अनत गुणा अधिक कापोत लेश्या का वर्ण होता है। तेजो लेश्या-उगता हुआ सूर्य, तोते की चोच, दीपक की शिखा आदि । इनमें अनंत गुणा अधिक इस लेश्या का वर्ण लाल रंग होता है। पद्म लेश्या-हरताल, हलदर, सण के फूल, आदि इनसे भी अनत गुणा अधिक पीला इसका रग-होता है। शुक्ल लेश्या-शंख, अक रत्न, मोगरे का फूल, गाय का दूध, ३६५
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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