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________________ २७६ जैनागम स्तोक सग्रह २ बादर मे-जीवका भेद-१२-सूक्ष्म का २ छोड़ कर, गुणस्थानक १४, योग : ५, उपयोग १२, लेश्या ६ । ३ नो सूक्ष्म नो बादर मे-जीव का भेद नही । गुणस्थानक नही, उपयोग २ केवल का, लेश्या नही। सूक्ष्म प्रमुख तीन बोल मे रहे हुए जीवो का अल्पबहुत्व १ सब से कम नो बादर नो सूक्ष्म २ इससे बादर अनन्त गुणा ३ इससे सूक्ष्म असख्यात गुणा । १९ सज्ञी द्वार : १ संज्ञी में-जीव का भेद २, गुणस्थानक १२ पहेला । योग १५, उपयोग १० केवल का दो छोड़ कर, लेश्या ६ । २ असजी में-जीव का भेद १२-संज्ञी का दो छोड़कर, गुणस्थानक २ पहेला, योग ६–२ औदारिक का, २ वैक्रिय का, १ कार्मण का १ व्यवहार वचन, उपयोग ६-२ ज्ञान का २ अज्ञान का २ दर्शन का, लेश्या ४ प्रथम की। नो संज्ञी नो असंज्ञी में जीव का भेद १ संज्ञी का पर्याप्त । गुणस्थानक २, १३ वां । १४ वां, योग ७ केवलज्ञानवत्, उपयोग २ केवल का, लेश्या १ शुक्ल । सज्ञी प्रमुख तीन बोल में रहे हुए जीवो का अल्पबहुत्व . १ सब से कम संज्ञी • इससे नो सज्ञी नो असज्ञी अनन्त गुणा । इससे असज्ञी असंख्यात गुणा। २० भव्य द्वार : १ भव्य मे जीव का भेद १४, गुणस्थानक १४, योग १५, उपयोग १२, लेश्या ६ । २ अभव्य मे-जीव का भेद १४, गुरणस्थानक १ पहला, योग १३ आहारक के दो छोड़ कर, उपयोग ६-३ अज्ञान ३ दर्शन, लेश्या ६ ।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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