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________________ २६४ जैनागम स्तोक संग्रह ८ लेश्या द्वार के आठ बोल : १ सलेश्या २ कृष्ण लेश्या ३ नील लेश्या ४ कापोत लेश्या ५ तेजोलेश्या ६ पद्म लेश्या ७ शुक्ल लेश्या = अलेश्या । ९ समकित द्वार के तीन वोल : १ समकित २ मिथ्यात्व ३ सममिथ्यात्व ( मिश्र ) १० ज्ञान द्वार के दश बोल : १ समुच्चय ज्ञान २ मति ज्ञान ३ श्रुत ज्ञान ४ अवधि ज्ञान ५ मन:पर्यय ज्ञान ६ केवलज्ञान ७ समुच्चय अज्ञान मति अज्ञान श्रुत अज्ञान १० विभंग ज्ञान ।.. - ११ दर्शन द्वार के चार वोल : १ चक्षु दर्शन २ अचक्षु दर्शन ३ अवधि दर्शन ४ केवल दर्शन । १२ संयति द्वार के नव बोल : १ समुच्चय संयति २ सामायिक चारित्र ६ छेदोपस्थानिक चारित्र ४ परिहार विशुद्ध चारित्र ५ सूक्ष्म संपराय चारित्र ६ यथाख्यात चारित्र ७ संयतासंयति असयति & नो संयति नो असंयति नो सयतासंयति । ८ १३ उपयोग द्वार के दो बोल : १ साकार उपयोग ( साकार ज्ञानोपयोग ) २ अनाकार उपयोग ( अनाकार दर्शनोपयोग ) | १४ आहार द्वार के दो बोल : १ आहारक २ अनाहारक । १५ भाषक द्वार के दो वोल. १ भाषक २ अभापक । १६ परित द्वार के तीन बोल. १ परित २ अपरित ३ नोपरित नोअपरित । १७ पर्याप्त द्वार के तीन बोल. १ पर्याप्त २ अपर्याप्त ३ नो पर्याप्त नो अपर्याप्त । १८ सूक्ष्म द्वार के तीन बोल : १ सूक्ष्म २ वादर ३ नोसूक्ष्म नो वादर ।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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