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________________ बड़ा बासठिया गाथा-जीव गई इन्दिय काय जोग वेदेय कसाय लेस्सा ; सम्मत्त नाण दसण संजय उवओग आहारे १ भासग परित पज्जत्त सुहम सन्न भवत्थिय ; चरिम तेसिं पयाणं, बासठीय होई नायव्वा २ २१ द्वार की उपरोक्त गाथाओं का विस्तार :१ समुच्चय जीव द्वार का एक भेद :-२ गति द्वार के आठ भेद १ नरक की गति २ तिर्यच की गति ३ तिर्यंचनी की गति ४ मनुष्य की गति ५ मनुष्यानी की गति ६ देव की गति ७ देवाङ्गना की गति ८ सिद्ध की गति । ३ इन्द्रिय द्वार के सात भेद . १ सइन्द्रिय २ एकेन्द्रि ३ बेइन्द्रिय ४ त्रीइन्द्रिय ५ चौरिन्द्रिय ६ पंचेन्द्रिय ७ अनिन्द्रिय । ४ काय द्वार के आठ बोल · १ सकाय २ पृथ्वी काय ३ अपकाय ४ तेजस् काय ५ वायुकाय ६ वनस्पति काय ७ त्रस काय ८ अकाय । ५ योग द्वार के पांच बोल : १ सयोग २ मनयोग ३ वचन योग ४ काय योग ५ अयोग । ६ वेद द्वार के पाच बोल : १ सवेद २ स्त्री वेद ३ पुरुष वेद ४ नपुंसक वेद ५ अवेद । ७ कषाय द्वार के छः बोल : १ सकषाय २ क्रोध कषाय ३ मान कषाय ४ माया कषाय ५ लोभ कषाय ६ अकषाय । २६३
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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