________________
२४४
जैनागम स्तोक संग्रह ४ चौथी नरक से निकले हुए जीव १२ पदवी पावे । दश तो ऊपर की और एक तीर्थकर एवं ११ नही पावे।
५ पाँचवी नरक से निकले हुए जीव ११ पदवी पावे । ११ तो ऊपर की और वारहवी केवली की नही पावे।
६ छठ्ठी नरक से निकले हुए जीव दश पदवी पावे । ऊपर की बारह और एक साधु की एवं तेरह नही।।
७ सातवी नरक से निकले हुए जीव तीन पदवी पावे । १ गज, २ अश्व, ३ समकिती ( समकित पावे तो तिर्यच में, मनुष्य नहीं हो सकते)।
८ भवनपति, वाणव्यन्तर, ज्योतिषी से निकले हुए जीव २१ पदवी पावे । तीर्थकर, वासुदेव ये दो नही पावे।
६ पहला दूसरा देव लोक से निकले हुए जीव २३ पदवी पावे ।
१० तीसरे से आठवे देवलोक तक से निकले हुए जीव १६ पदवी पावे । सात एकेन्द्रिय रत्न नही।
११ नववे देवलोक से नववी वेयक तक से निकले हुए १४ पदवी पावे । सात एकेन्द्रिय रत्न, गज और अश्व ये नव नही।
१२ पांच अनुत्तर विमान से निकले हुए जीव आठ पदवी पावे । ७ एकेन्द्रिय रत्न, ७ पंचेन्द्रिय रत्न और १ वासुदेव ये १५ नही पावे ।
१३ पृथ्वी, अप, वनस्पति मनुष्य, तिर्यञ्च-पचेन्द्रिय से निकले हुए जीव १६ पदवी पावे । तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेव ये चार नही पावे।
१४ तेजस् वायु से निकले हुए जीव नव पदवी पावे । सात एके. रत्न, गज और अश्व ये नव पावे।।
१५ तीन विकलेन्द्रिय से निकले हुए जीव १८ पदवी पावे । तीर्थङ्कर, चक्रवर्ती, वासुदेव, बलदेव, केवली ये ५ नही पावे ।