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________________ २४५ कौन २ सी पदवी वाले किस-किस गति मे जावे ? १ पहली, दूसरी, तीसरी, चौथो इन चार नरक मे ११ पदवी वाला जावे ७ पचे० रत्न, ८ चक्रवर्ती, वासुदेव, १० समकित दृष्टि, ११ मांडलिक राजा एव ११ । तेईस पदवी २ पांचवी छठ्ठी नरक मे नव पदवी का जावे । गज और अश्व ये छोड़ कर शेष पाच पंचे० रत्न, ६ चक्रवर्ती, ७ वासुदेव, सम्यक्त्वी, 8 माडलिक राजा एव नव पदवी । ८ ३ सातवी नरक में सात पदवी का जावे । गज, अश्व और स्त्री छोड शेष चार पचे० ५चक्रवर्ती, ६वासुदव, ७माडलिक राजा एव सात। ४ भवनपति, वाण व्यन्तर, ज्योतिषी और पहले से आठवे देवलोक तक दश पदवी का जावे । सात पचे० रत्न मे से स्त्री रत्न छोड शेष ६ रत्न, ७ साधु, ८ श्रावक, सम्यक्त्वी, १० मालिक राजा एव दश । 1 ५ नववे से बारहवे देवलोक तक आठ पदवी का जावे । स्त्री, गज, अश्व छोड शेष चार पचे० रत्न, ५ साधु, ६ श्रावक, ७ सम्यक्त्वी, ८ माडलिक राजा एव आठ । ६ नव वयेक मे सात पदवी का जावे । ऊपर की आठ पदवी में से श्रावक को छोड शेष सात पदवी । ७ पाच अनुत्तर विमान मे दो पदवी का जावे - साधु और सम्यक्त्वी । ८ पाच स्थावर में चौदह पदवी का जावे । सात एकेन्द्रिय रत्न, स्त्री छोड़ शेष ६ पचेन्द्रिय रत्न और माडलिक राजा । & तीन विकलेन्द्रिय, तिर्यच पचेन्द्रिय और मनुष्य मे पन्द्रह पदवी का जावे । ऊपर की चौदह पदवी और १ समदृष्टि एवं १५
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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