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________________ t तेईस पदवी नव उत्तम पदवी, सात एकेन्द्रिय रत्न की पदवी और सात पंचेन्द्रिय रत्न की पदवी । प्रथम नव उत्तम पदवी के नाम १ तीर्थकर की पदवी २ चक्रवर्ती की पदवी ३ वासुदेव की पदवी ४ बलदेव की पदवी ५ माडलिक की पदवी ६ केवली की पदवी साधु की पदवी ८ श्रावक की पदवी & समकित की पदवी । ७ सात ऐकेन्द्रिय रत्न के नाम : १ चक्र रत्न २ छत्र रत्न ३ चर्म रत्न ४ दड रत्न ५ खड्ग रत्न ६ मरिण रत्न ७ काकण्य रत्न । सात पचेन्द्रिय रत्न के नाम : १ सेनापति रत्न २ गाथापति रत्न ३ वार्धिक (बढई ) रत्न ४ पुरोहित रत्न ५ स्त्रीरत्न ६ गज रत्न ७ अश्व रत्न । ये चौदह रत्न चक्रवर्ती के होते है | ये चौदह रत्न चक्रवर्ती के जो जो कार्य करते है उनका विवेचन | प्रथम सात एकेन्द्रिय रत्न : चक्र रत्न - छ. खण्ड साधने का रास्ता बताता है २ छत्र रत्न - सेना के ऊपर १२ योजन ( ४८ कोस ) तक छत्र रूप बन जाता है । ३ चर्म रत्न नदी आदि जलाशयो के २४१ १६
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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