________________
२४०
जैनागम स्तोक संग्रह
३ काल से ऋजुमति जघन्य पल्योपम के असख्यातवे भाग की बात जाने देखे उत्कृष्ट पल्योपम के असंख्यातवे भाग की अतीत अनागत काल की बात जाने देखे, विपुलमति ऋजु मति से विशेष, स्पष्ट निर्णय सहित जाने देखे ।
४ भाव से ऋजुमति जघन्य अनन्त द्रव्य के भाव (वर्णादि पर्याय) जाने देखे उत्कृष्ट सर्व भावो के अनंतवे भाग जाने देखे, विपुलमति इससे स्पष्ट निर्णय सहित विशेष अधिक जाने देखे ।
मनः पर्याय ज्ञानी अढाई द्वीप में रहे हुवे संज्ञी पचेन्द्रिय के मनोगत भाव जाने देखे अनुमान से जैसे धूवा देख कर अग्नि का निश्चय होता है वैसे ही मनोगत भाव से देखते है ।
केवलज्ञान का वर्णन
केवलज्ञान के दो भेद - १ भवस्थ केवल ज्ञान २ सिद्ध केवल ज्ञान । भवस्थ केवल ज्ञान के दो भेद १ सयोगी भवस्थ केवलज्ञान २ अयोगी भवस्थ केवलज्ञान, इनका विस्तार सूत्र से जानना | सिद्ध केवलज्ञान के दो भेद - १ अनन्तर सिद्ध केवलज्ञान २ परंपर सिद्ध केवलज्ञान | विस्तार सूत्र से जानना । ज्ञान समुच्चय चार प्रकार का—१ द्रव्य से २ क्षेत्र से ३ काल से ४ भाव से ।
१ द्रव्य से केवलज्ञानी सर्व रूपी -अरूपी द्रव्य जाने देखे ।
२ क्षेत्र से केवल ज्ञानी सर्व क्षेत्र (लोकालोक) की बात जाने देखे । ३ क्ष ेत्र से केवलज्ञानी सर्व काल की - भूत, भविष्य, वर्तमानबात जाने देखे |
४ भाव से केवलज्ञानी सर्व रूपी अरूपी द्रव्य के भाव के अनन्त भाव सर्व प्रकार से जाने देखे ।
केवल ज्ञान आवरण रहित विशुद्ध लोकालोक प्रकाशक एक ही प्रकार का सर्व केवलियों को होता है ।