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________________ पांच ज्ञान का विवेचन २३३ २ क्षेत्र से अगुल के संख्यातवे भाग जाने देखे व काल से आवलिका के संख्यातवे भाग की बात गत व भविष्यकाल की जाने देखे। ३ क्षेत्र से एक अगुल मात्र क्षेत्र जाने देखे व काल से आवलिका से कुछ न्यून जाने देखे। ४ क्षेत्रसे पृथक् ( दो से नव तक ) अंगुल की बात जाने देखे व काल से आवलिका सम्पूर्ण काल की बात गत काल व भविष्य काल की जाने देखे। ५ क्षेत्र से एक हाथ प्रमाण क्षेत्र जाने देखे व काल से अन्र्तमुहूर्त ( मुहूर्त मे न्यून ) काल की बात गतकाल व भविष्य काल की जाने देखे। ६ क्षेत्र से धनुष्य प्रमाण क्षेत्र जाने देखे व काल से प्रत्येक मुहूर्त की बात जाने देखे। ७क्षेत्र से गाउ (कोस) प्रमाण क्षेत्र जाने देखे व काल से एक दिवस मे कुछ न्यून की बात जाने देखे । ____८ क्षेत्र से एक योजन प्रमाण क्षेत्र जाने देखे व काल से प्रत्येक दिवस की बात जाने देखे । क्षेत्र से पच्चीस योजन क्षेत्र के भाव जाने देखे व काल से पक्ष मे न्यून की बात जाने देखे । १० क्षेत्र से भरत क्षेत्र प्रमाण क्षेत्र के भाव जाने देखे व काल से पक्ष पूर्ण की जात जाने देखे । ११ क्षेत्र से जम्बू द्वीप प्रमाण क्षेत्र की बात जाने देखे व काल से एक माह जारी की बात जाने देखे । १२ क्षेत्र से अढाई द्वीप की बात जाने देखे व काल से एक वर्ष की वात जाने देखे।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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