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________________ नव तत्व ८ काल से आदि अत रहित, ६ भाव से अरूपी १० गुण से स्थिर सहाय, ११ आकाशास्तिकाय द्रव्य से एक, १२ क्षेत्र से लोकालोक प्रमाण, १३ काल से आदि अत रहित, १४ भाव से अरूपी, १५ गुण से अवगाहना-दान तथा विकास लक्षण, १६ काल द्रव्य से अनत, १७ क्षेत्र से ढाई द्वीप प्रमाण, १८ काल से आदि अत रहित, १६ भाव से अरूपी, २० गुण से वर्तना लक्षण, ये २० और १० भेद ऊपर कहे हुवे, इस प्रकार कुल ३० भेद अरूपी अजीव के हुए। रूपी अजीव के ५३० भेद . ५ वर्ण. २ गन्ध, ५ रस, ५ सस्थान, ८ स्पर्श इन २५ मे से जिनमे जितने बोल पाये जाते है वे सब मिलाकर कुल ५३० भेद होते है। विस्तार -५ वर्ण-१ काला, २ नीला, ३ लाल, ४ पीला, ५ सफेद । इन पाँचो वर्णो मे २ गन्ध, ५ रस, ५ सस्थान और ८ स्पर्श ये २० बोल पाये जाते है इस प्रकार ५४२०=१०० बोल वर्णाश्रित हुवे। २ गन्ध --१ सुरभि गंध, २ दुरभि गंध । इन दोनो में ५ वर्ण, ५ रस, ५ संस्थान और ८ स्पर्श ये २३ बोल पाये जाते है। इस प्रकार २४२३=४६ बोल गन्ध आश्रित हुए। ५ रस-मिष्ट, २ कटक, ३ तीक्ष्ण, ४ खट्टा, ५ काषायित इन ५ रसो मे ५ वर्ण, २ गंध, ८ स्पर्श और ५ सस्थान ये २० बोल पाये जाते है । इस प्रकार ५४२०=१०० वोल रसाश्रित हुए। ५ सस्थान-परिमण्डल सस्थान-चुडी के आकारवत्, २ वर्तुल सस्थान-लड्डू के समान, ३ अंश संस्थान-सिंघाडे के समान, ४ चतुर सस्थान-चोकी के समान,५ आयत सस्थान-लम्बी लकडी के समान, इन संस्थान मे ५ वर्ण, २ गन्ध, ५ रस, ८ स्पर्श ये २० बोल पाये जाते है, इस तरह ५४ २०=१०० बोल संस्थान आश्रित हुए। ८ स्पर्श-१ कर्कश (कठोर) २ कोमल, ३ गुरु, ४ लघु, ५ शीत,
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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