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नव तत्व
७ माघवती । इन सातो नरको मे रहने वाले नैरयिक जीवों के अपर्याप्ता व पर्याप्ता एव १४ भेद। तिर्यञ्च के ४८ भेद -
१ पृथ्वीकाय, २ अपकाय, ३ तेजस्काय, ४ वायुकाय. ये चार सूक्ष्म और चार बादर (स्थूल) एव इन आठ के अपर्याप्ता और पर्याप्ता एव १६ । वनस्पति के छ भेद :
१ सूक्ष्म, २ प्रत्येक, और ३ साधारण, इन तीन के अपर्याप्ता व पर्याप्ता ये छ. मिलकर २२ भेद, १ बेइन्द्रिय, २ त्री-इन्द्रिय, ३ चौरिन्द्रिय इन तीन का अपर्याप्ता और पर्याप्ता ये छ मिलकर २८ हुये। तिर्यञ्च पञ्चेन्द्रिय के २० भेद
१ जलचर, २ स्थलचर, ३ उरचर, ४ भुजपर, ५ खेचर । ये पॉच गर्भज और पाँच समूछिम एव १० इन १० के अपर्याप्ता और पर्याप्ता ये २० मिलकर तिर्यञ्च के कुल (१६+६+६+२०) ४८ भेद हुए। मनुष्य के ३०३ भेद :
१५ कर्मभूमि के मनुष्य, ३० अकर्मभूमि के और ५६ अन्तर द्वीप के एव १०१ क्षेत्र के गर्भज मनुष्य का अपर्याप्ता व पर्याप्ता एव २०२ और १०१ क्षेत्र के समूर्छिम मनुष्य (चौदह स्थानोत्पन्न) का अपर्याप्ता । इस प्रकार मनुष्य के ३०३ भेद हुए। देवता के १६८ भेद -
१० असुरकुमारादिक, १५ परमाधर्मी एव ये २५ भेद भवनपति के। १६ प्रकार के पिशाचादि देव व १० प्रकार के ज़भिका एव ये