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________________ जीव के चार भेद १ नारकी, २ तिर्यञ्च, ३ मनुष्य, ४ देव, अथवा १ चक्षुदर्शनी २ अचक्षुदर्शनी, ३ अवधि दर्शनी, और केवल दर्शनी । --- जीव के पाँच भेद :-- १ एकेन्द्रिय, २ बेन्द्रिय, ३ त्रीन्द्रिय, ४ चौरिन्द्रिय, ५ पचेन्द्रिय, अथवा १ सयोगी, २ मन योगी, ३ वचन योगी, ४ काययोगी, और ५ अयोगी । जीव के छः भेद :-- १ पृथ्वीकाय, २ अपकाय ३ तेजस्काय, ४ वायुकाय, ५ वनस्पति काय, ६ त्रस काय, अथवा १ सकषायी, २ क्रोधकषायी, ३ मान कषायी, ४ माया कषायी, ५ लोभ कषायी, ६ अकषायी । जीव के सात भेद :-- 1 १ नारकी, २ तिर्यञ्च ३ तिर्यञ्चाणी, ४ मनुष्य, ५ मनुष्याणी ६ देव, ७ देवागना । जीव के आठ भेद :-- १ सलेश्यी, २ कृष्ण लेश्यी, ३ नील लेश्यी, ४ कापोतलेश्यी, ५ तेजोलेश्यी ६ पद्म लेश्यी, ७ शुक्ल लेश्यी, ७ अलेश्यी । जीव के नव भेद १ पृथ्वी काय, २ अप काय, ३ तेजस्काय, ४ वायु काय, ५ वनस्पति काय, ६ बेइन्द्रिय, ७ त्रीन्द्रिय, चौरिन्द्रिय, & पञ्चेन्द्रिय । जीव के दस भेद :-- १ एकेन्द्रिय, २ बेइन्द्र, ३ त्री- इन्द्रिय, ४ चौरिन्द्रिय ५ पञ्चेन्द्रिय इन पाँचो के अपर्याप्ता व पर्याप्ता - ये दश भेद |
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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