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जैनागम स्तोक संग्रह आत्मा ! देश चारित्र है ) छ8 से दशवे गु० तक ८ आत्मा, ग्यारहवे, बारहवे तेरहवे गु० ७ आत्मा कषाय छोड कर, चौदहवे गु० ६ आत्मा कषाय और योग छोड़ कर, सिद्ध में ४ आत्मा-ज्ञानात्मा, दर्शनात्मा, द्रव्यात्मा और उपयोगात्मा ।
१६ जीव भेद द्वार पहले गु० १४ भेद पावे, दूसरे गु० ६ भेद पावे । बेइन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चौरिन्द्रिय, असंज्ञी तिर्यच व पचेन्द्रिय इन चार का अपर्याप्ता और संज्ञी पचेन्द्रिय का अपर्याप्ता व पर्याप्ता एवं ६, तीसरे गु० संज्ञी पचेन्द्रिय का पर्याप्ता पावे । चौथे गु० २ भेद पावे संज्ञी पचेन्द्रिय का अपर्याप्ता और पर्याप्ता । पाँचवे से चौदहवे गु० तक १ संज्ञी पंचेन्द्रिय का पर्याप्ता पावे ।
१७ योग द्वार पहल, दूसरे, चौथे गु० योग १३ पाद, आहारक के दो छोड कर। तीसरे गु० १० योग पाव ४ मन का, ४ वचन का, ८,६ औदारिक का और १० वैक्रिय का एव १०, पांचवे गु० १२ योग पाव आहारक के दो और एक कार्मण का एव तीन छोड़ शेष १२ योग । छठे गु० १४ योग पाव' ( कार्माण को छोड़ कर ) सातवे गु० ११ योग--४ मन के, ४ वचन के, १ औदारिक का, १ वैक्रिय का, १ आहारिक का एवं ११ आठव गु० से १२ गु० तक ६ योग पाव-~४ मन के, ४ वचन के और १ औदारिक का, एवं ६, तेरहव गु० योग ७ दो मन के, दो वचन के, औदारिक, औदारिक का मिश्र, कार्मण काय योग एवं ७ योग, चौदहवे गु० योग नही।
१८ उपयोग द्वार पहले तीसरे गु० ६ उपयोग ३ अज्ञान और ३ दर्शन एवं ६, दूसरे, चौथे, पाचवे गु० ६ उपयोग ३ ज्ञान ३ दर्शन एवं ६, छठे से वारहवे