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________________ सिद्ध द्वार ८३ ____ ३५ अतीर्थ सिद्ध होवे तो एक समय मे जघन्य एक उत्कृष्ट दस सिद्ध होते है। ३६ तीर्थकर सिद्ध होवे तो, एक समय मे जघन्य एक, उत्कृष्ट बीस सिद्ध होते है। ३७ अतीर्थकर सिद्ध होवे तो एक समय में जघन्य एक, उत्कृष्ट १०८ सिद्ध होते है। ३८ स्वयबोध (बुद्ध) सिद्ध होवे तो एक समय मे जघन्य एक, उत्कृष्ट चार सिद्ध होते है। ३६ प्रतिबोध सिद्ध होवे तो, एक समय मे जघन्य एक, उत्कृष्ट दश सिद्ध होते है। ४० बुधबोधी सिद्ध होवे तो, एक समय मे जघन्य १, उत्कृष्ट १०८ सिद्ध होते है। __ ४१ एक सिद्ध होवे तो, एक समय मे जघन्य एक, उ० भी एक सिद्ध होते है। ४२ अनेक सिद्ध होवे तो, एक समय मे जघन्य एक, उ० १०८ सिद्ध होते है। ___ ४३ विजय विजय प्रति एक समय मे ज० एक, उत्कृष्ट बीस सिद्ध होते है। ४४ भद्र शाल वन मे एक समय मे ज० एक, उ० चार सि० होते है। ४५ नदन वन मे एक समय मे ज० एक, उ० चार सि० । होते है। ___ ४६ सोमनस वन में एक समय मे ज० एक, उ० चार सि० होते है।
SR No.010342
Book TitleJainagam Stoak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Maharaj
PublisherJain Divakar Divya Jyoti Karyalay Byavar
Publication Year2000
Total Pages603
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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