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________________ -- जैन-जीवन देकर उनको अगाध तत्वज्ञान दिया। उन्होंने उसी ज्ञानका संकलन करके आगम-शास्त्र बनाए । गौतमस्वामी निरन्तर छठ्ठछट्ठ तपस्या किया करते थे तथा सूर्यके सामने ध्यानस्थ होकर आतापना लिया करते थे। तपस्यासे. उन्हें अनेक चमत्कारी लब्धियां-शक्तियां प्राप्त हुई । उनका प्रभुके साथ अत्यधिक प्रेम था। इसीलिए उन्हें प्रभुकी विद्यमानतामें केवलज्ञान नहीं हुआ। केवलज्ञान और निर्वाण , भगवान्ने लाभ समझकर अन्तमें उन्हें देवशर्मा ब्राह्मणको प्रतिबोध देनेके लिए भेज दिया एव पीछेसे आप मोक्ष पधार गए । यह समाचार सुनकर गौतमने कुछ क्षणों तक काफी मोहविलाप किया । फिर सम्भल कर शुक्लध्यानमे लीन बने एवं शीघ्रही केवलज्ञानको प्राप्त हुए तथा आठ साल केवल-पर्याय पालकर सिद्ध, बुद्ध एवं मुक्त हुए।
SR No.010340
Book TitleJain Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanrajmuni
PublisherChunnilal Bhomraj Bothra
Publication Year1962
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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