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प्रसङ्ग चौदहवां द्रौपदीके पाँच पति क्यों ?
किसी जन्म में द्रौपदी नागश्री ब्राह्मणी थी। उसने धर्मरचि मुनिको कटुचे तुम्बेका शाक बहिराया एवं नरकमें गई। फिर संसारमे भ्रमण करती करती एकदा वह सेठकी पुत्री सुकुमालिस हुई। फिर भी पाप के उदयसे चिपकन्या थी अत. विवाह होने पर भी उसके शरीरका स्पर्श न कर सकनेके कारण पतिने उसे छोड़ दिया | पिताने एक भिखारीके साथ दुवारा भी शादी की, किन्तु उसके अग्निरूप शरीरसे डरकर वह भी भाग गया अतः सुकुमालिका चापके घर ही अपने दुसके दिन व्यतीत करने लगी ।
दीना और श्रातापना
एक दिन सेठके यहाँ मिचार्थ साध्वियां श्रई । उसने अपना दुःख सुनाकर उनसे कोई पुरुषवशीकरण मन्त्र पुत्रा । सतियने ऐसे मन्त्र यतानेसे इन्कार कर दिया और उसे धर्मोप्रदेश सुनाया । तव दुःसकी भारी वैराग्य पाकर वह साम्बी बन गई एवं शहरके बाहर बागमें जाकर सूर्यके सामने प्रतापना लेने लगी। गुरुवानीने ऐसे खुले स्थान मे तपस्या करना अनुचित सरकार शफी मनाही की, लेकिन वह नहीं मानी ।
पांच पतिका निदान
एक दिन जहाँ हत्या कर रही थी, एक वेश्या