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________________ प्रसङ्ग तेरहवां तो उसे १२ वर्ष तक वनवास भुगतना पड़ेगा । . एक दिन अर्जु-नसे भूल हो गई और वह १२ वर्षके लिए वनमें गया । वहां उसने अनेक विद्याऍ प्राप्त कीं एवं द्वारका जाकर कृष्णकी बहिन सुभद्रासे विवाह किया। सुभद्राका पुत्र A वीर अभिमन्यु हुआ । ४३ युधिष्ठिरको राजगद्दी T वनवास भोगकर अर्जुन घर आया । महाराज - पाण्डुने योग्य समझ कर युधिष्ठिरको राज्य दिया । अवसरज्ञ - युधिष्ठिरने साई दुर्योधनको इन्द्रप्रस्थका - राज्य देकर सन्तुष्ट किया । भीमादि चारों माई दिग्विजयार्थ चारों दिशाओं में गए और अनेक नरेश उनके आज्ञाकारी बने । कलहका प्रारम्भ द्रोपदीके पांच पुत्र हुए। सुभद्राकी कुक्षीसे अभिमन्युने जन्म लिया | उसके जन्मोत्सव पर अद्भुत सभामण्डप बनाया गया और अनेक नरेश बुलाए गए । पाण्डवोंकी सम्पति देखकर दुर्योधन जलने लगा तथा सभा देखते समय द्रौपदीके द्वारा हास्य करने पर तो वह आगबबूला ही हो गया । पाण्डवोंका पतन कैसे हो ? इस विपयमें मामा शकुनिसे सलाह करके धृतराष्ट्रादिकके निपेध करने पर भी उसने एक दिव्यसमा बनाकर सपरिवार धर्मपुत्रको बुलाया । उनके साथ बात ही वातमें जुआ खेलना शुरू कर दिया। शकुनिके पास दिव्य-पासे थे अत युधिष्टिर हारते गए और दुर्योधन जीतता गया ।
SR No.010340
Book TitleJain Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDhanrajmuni
PublisherChunnilal Bhomraj Bothra
Publication Year1962
Total Pages117
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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