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'प्रसङ्ग तेरहवां कौरव-पाण्डव
- सभी जानते हैं कि जन्मधारीको एक दिन अवश्य मरना पड़ता है। यदि यह बात सही है, तो फिर न्यायमार्गको छोड़कर जुन्म क्यों किया जाता है ? किसीको धोखा क्यों दिया जाता है दूसरोंकी सम्पत्ति क्यों हड़पी जाती है। कोर्ट में झूठे केस क्यों चलाए जाते है ? क्या उक्त कार्य करनेवालोंने महाभारत नहीं पढ़ा ? अन्यायी दुर्योधनकी दुर्दशा नहीं सुनी?
' वे कौन थे ? हस्तिनापुर में महाराज शातनु राज्य करते थे। उनके दो रानियाँ थीं। एक गंगा थी जिसके पुत्र भीष्मपितामह थे और दूसरी नाविकपुत्री सत्यवती थी, उसके दो पुत्र थे- चित्राङ्गद और विचित्रवीर्य । विचित्रवीर्यके तीन पुत्र हुए-धृतराष्ट्र, पाण्डु और विदुर । धृतराष्ट्र जन्मसे अन्धे थे। उनके गाधारी आदि आठ रानियां थीं और दुर्योधनादि सौ पुत्र थे (जो कौरव कहलाये) वथा एक दुःशला पुत्री थी जो राजा जयद्रथसे ब्याही थी। पाण्डु राजाके दो रानियां थीं । कुन्ती और शल्य राजाकी बहिन माद्री। कुन्तीके तीन पुत्र थे- युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन ( कर्ण दुनियाकी दृष्टिसे कुमारावस्थामे पैदा हुआ था अतः उसे पेटीमें बन्द करके गंगामें बहा दिया था और अधिरथ नामके बदईने उसका