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प्रसङ्ग पहला
भगवान् ऋषभदेव
___बहुत से लोग सुनी, सुनाई बात कह देते हैं कि जैनधर्म पार्श्वनाथ तथा महावीरस्वामी का चलाया हुआ है, जो अभी तीन हजार वर्षों के अन्दर ही हुए है । यह कथन विल्कुल असत्य है क्योंकि जैन धर्म के आद्यप्रवर्तक भगवान ऋषभनाथ थे। वे आज से असंख्य वर्ष पूर्व तीसरे बारे में हुए थे । सब से पहले राजा होने के कारण वे आदिनाथ भी कहे जाने लगे।
युगलों का जमाना उनसे पहले राजा-प्रजा का कोई हिसाब नहीं था क्योंकि युगलधर्म चल रहा था । जीवनमर में पति-पत्नी केवल एक पुत्रपुत्री को युगलरूप से उत्पन्न करते थे और ४६,६४ एव ७ दिन उन्हें पालकर एकही साथ ग्वांसी,छींक एवं जमाई द्वारा मरकर स्वर्गमे चले ज ते थे एवं पीछे से वही जोड़ा पति-पत्नी के रूप में परिणत हो जाता था। उस समय असि, मसी कृषि, शिल्प एवं वाणिज्यरूप कर्म कोई भी नहीं करता था। जिस किसी भी वस्तु की आवश्यकता होती थी, स्वाभाविक कल्पवृक्षों द्वारा पूरी की जाती थी।
ऋपभनाथ का जन्म काल के प्रभाव से क्रमश. कल्पवृक्षों की शक्ति में कमी होने लगी और युगलों में ईर्ष्या, द्वेप एवं कलह विशेषरूपसे बदने लगे। तब सात कुलकर(मुखिया)स्थापित किये गये। उन्होंने हाकार, माकार तथा