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________________ (११) मुनकर चढ़ीयो रत्न हजारो॥ डाल. ॥७॥ जोरावर भज डालचन्द पद ॥ लुल २ ध्यावत सांझ संवारो॥ डाल.॥८॥ उगयो से छासठ शुभ सम्बत ॥ पचय रतीया दिन पानन्द अपारो ॥ डाल•॥ इति ॥ __ अथ ढालर दूसरी० राग थौयेटर को. पल पल तन मन धनवारो॥ एचालमें० ॥ पल २ नित समरन थारो २॥ प्रान प्यारो डाल तिहारो॥ दर्शनवाके परसन वासे मनवा मगन भयो॥ तन मन विकसित सारो॥ पल० एम० भिक्षु गणिंदको पाट सातमों डाल दीपा बनहारो॥ मात बड़ाब कनयाको नन्दन ।। लागत मुजकं प्यारो। पल० ॥१॥ च्यार तीर्थ नित करता दर्शन ॥ पेखत तुम दीदारो॥ अमृत वैन सुखी भविजन वहु सफल गिणे अवतारो॥ पल. ॥२॥ पारसको संगत करवे सु लोई
SR No.010338
Book TitleJain Bhajan Prakash 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJoravarmal Vayad
PublisherJoravarmal Vayad
Publication Year
Total Pages113
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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