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( १ ) अथ श्री डालचंदजी महाराजो गुणांकी ढाल१ पहलौ० राग ॥ मल्हार• तथा पौलु तथा ठुमरी तीन चाल में० ॥ ___ डाल गणि मैंतो दर्थ तिहारो॥ पेखत प्रगटयो हर्ष प्रपारो॥ डाल. एमां निस दिन लाग रहो मुन मनमें । बब देखू प्रभुको दोदारो॥ डाल•॥१॥ चन्तराय कर्म कछु दूर भये बब ॥ पान मिल्यो भवसर दर्शणांरो । डाल० ॥२॥ धन्य घड़ी धन्य माग्य हमारो॥ भेटयोमै नन्द नन्हीयाको प्यागे ॥ डाल. ॥३॥ चरण कमल फरसित हियो हर्षित ॥ तन मन विकस रह्यो पति म्हारो ॥ डाल० ॥ ४ ॥ में पापो तुम तारन हारो॥ भवसायर थौ पार उतारो। डाल. ॥ ५॥ तुम हो दीनानाथ जगतके ।। भसरणको सरणांगत थांरो ॥ डाल. १६ ॥ तुम सम तारक नांही जगतमें ।