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जैनपालवोधकदर्भ कुरुजांगल करहाट महाराष्ट्र सौराष्ट्र आभीर फोकण वनवास प्रांध्य कर्णाट कौशल चौल केलर दास अभिसार सौवीर सुरसेन, अपरांत, विदेह, सिंधु,गांधार, पवन, चेदि पल्लव कांबोज आरद वालीक तुरुष्क शक और केकय इन घावन देशोंका विभाग किया। ___ इन देशों से कई देश ऐसे थे जिनमें अन्नकी उत्पत्ति नदियोंसे जल सींचकर की जाती थी और कई ऐसे थे जिनमें वर्षा के जलसे खेती हो सकती थी और कई देश दोनों प्रकारके थे परंतु कश्योंमें जलकी बहुलता व कईयोंमें कमी थी।
प्रत्येक देशके राजा लोग भी नियत कर दिये थे। कई देश ऐसे थे जो लुटेरों शिकारी और पशुओंको पालनेवाले शूद्रोंके अधीन थे प्रत्येक देशमें राजधानी वनाई गई थी।
छोटे वडे गावोंकी रचना इस प्रकार बनाई थी। जिनमें कांटों की बाडसे घिरे हुये घर थे और जिनमें बहुधा किसान शूद्र रहते थे ऐले १०० घरोंकी वस्तीको छोटा गांव और ४०० घरों की वस्तीवालेको बडा गांव बताया। छोटे गांवकी सीमा एक कोशकी बड़े गांवकी दो कोशकी रक्खी गई और गावोंकी सीमा श्मशान, नदी, वडके झुंड, ववूल आदिके कांटेदार वृत्तोंसे तथा पर्वत गुफाओंले बांधी गई थी। गांवोंको बसाना, उपभोग करना गांव निवासियोंके लिये नियम बनाना, गांवकी अन्य आवश्यक. ताओंको पूरा करने श्रादिका अधिकार राज्यके अधीन रक्खा ।
जिन वडे गावोंमें बडे २ महल हवेलियां थी, वडे २ दरवाजेथे और जिनमें वडे २ प्रसिद्ध पुरुष वसाये थे उनका नाम नगर (शहर ) रक्खा गया।