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जैनवालबोधक
आये हैं। आषाढ़ सुदी २ उत्तराषाढ़ नक्षत्र के दिन भगवान ऋषभदेव महारानी मरुदेवी के गर्भमें आये । जब मगवान ऋषभ - देव गर्भमें प्राये तीसरे कालके ( अवनतिरूप परिवर्तन के ) चौरासी लाख पूर्व तीन वर्ष साढ़े आठ माह बाकी रह गये थे अर्थात् इतने वर्ष तीसरे कालके शेष बचे थे उस समय भगवान ऋपमदेव गर्भमें आये
भगवानके गर्भ में आते ही इन्होंने व चार प्रकारके देवोंने प्राकर अजोध्या नगरीकी प्रदक्षिणा दी और माता पिताको नम-स्कार करके उत्सव ( गर्भ कल्याणकी क्रिया किया और देवियोंने माताकी सेवा करना प्रारंभ कर दी ।
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१६. द्रव्योंके सामान्य गुण ।
१। गुणोंके समूहको द्रव्य कहते है ।
२ । द्रव्य के पूरे हिस्से में और उसकी समस्त पर्यायोंमें हालतों में) जो रहे उसको गुण कहते हैं।
३। गुणं दो प्रकारके होते हैं । एक संमान्य गुण, दूसरा विशेषगुण ।
४। जो गुण समस्त (द्रव्योंमें ) व्यापै उसको सामान्यगुण कहते हैं ।
५ । जो समस्त द्रव्योंमें न व्यापै उसे विशेषगुण कहते हैं ।