SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४६ जैनवालबोधक आये हैं। आषाढ़ सुदी २ उत्तराषाढ़ नक्षत्र के दिन भगवान ऋषभदेव महारानी मरुदेवी के गर्भमें आये । जब मगवान ऋषभ - देव गर्भमें प्राये तीसरे कालके ( अवनतिरूप परिवर्तन के ) चौरासी लाख पूर्व तीन वर्ष साढ़े आठ माह बाकी रह गये थे अर्थात् इतने वर्ष तीसरे कालके शेष बचे थे उस समय भगवान ऋपमदेव गर्भमें आये भगवानके गर्भ में आते ही इन्होंने व चार प्रकारके देवोंने प्राकर अजोध्या नगरीकी प्रदक्षिणा दी और माता पिताको नम-स्कार करके उत्सव ( गर्भ कल्याणकी क्रिया किया और देवियोंने माताकी सेवा करना प्रारंभ कर दी । -10% sorts १६. द्रव्योंके सामान्य गुण । १। गुणोंके समूहको द्रव्य कहते है । २ । द्रव्य के पूरे हिस्से में और उसकी समस्त पर्यायोंमें हालतों में) जो रहे उसको गुण कहते हैं। ३। गुणं दो प्रकारके होते हैं । एक संमान्य गुण, दूसरा विशेषगुण । ४। जो गुण समस्त (द्रव्योंमें ) व्यापै उसको सामान्यगुण कहते हैं । ५ । जो समस्त द्रव्योंमें न व्यापै उसे विशेषगुण कहते हैं ।
SR No.010334
Book TitleJain Bal Bodhak 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy