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चतुर्थ भाग। है कि, इन्द्रभूतिने ब्राह्मणोंके गौतमवंशमें जन्म लिया था और गौतमवंशमें जो उत्पन्न होवे उसको गौतम कहते हैं । उसी समय में अर्थात् जव गौतम गणधर अथवा महावीर भगवान् हुए है, 'एक वुद्धधर्मको चलानेवाला गौतम बुद्ध नामका विद्वान् भी हो गया है । इसलिये कोई कोई लोग दोनोंको एक ही समझते है, 'परन्तु यह भूल है । यथार्थमें ये दोनों जुदे २ हो गये हैं।
इन्द्रभूति एक गौतम नामक ग्रामके रहनेवाले गौतम ब्राह्मण थे। इनके वायुभूति और अग्निभूति नामके दो भाई थे। ये तीनों ही भाई वैदिकधर्मानुयायी बड़े भारी विद्वान थे और तीनोंके 'पास पांच पांचसौ शिप्य विद्याध्ययन करते थे। इन्द्रभूतिकी जिह्वापर चारो वेद और छहो शास्त्र नृत्य करते थे। इस कारण उस समयके सम्पूर्ण विद्वानोंमें वे श्रेष्ठ गिने जाते थे। उन्हें अपनी विद्याका गर्व भी इतना था कि, संसारमें अपने सामने विवाद करनेवाला वे किसीको नहीं समझते थे। ___ जव महावीर भगवान्को चारघातिया कौक नाश होनेसे वैशाख शुक्ला १० दशमीफे दिन केवलज्ञान प्राप्त हुधा और इन्द्र की पाशा पाकर कुवेरने जव वहां समवसरणकी रचना की, तथा देवमनुष्यादिकोंकी बारह समा एकत्र हो गई, तव सम्पूर्ण भव्यजीव भगवान्की दिव्यध्वनि सुननेके लिये प्रतीक्षा करने लगे। परन्तु जव ६६ दिन दिव्यध्वनि नहीं खिरी, तव इन्द्रने इसका कारण यह निश्चय करके कि " गणधरके न होनेसे दिव्यध्वनि नहीं खिरती है" गणधरके अन्वेषणकरनेका विचार किया। उस समय अवधिज्ञानसे विचार करके वह गौतम ग्रामको एक