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________________ २३. जैनवालबोधक- . सहायिनी परममित्राको सभामें आते हुए देख सन्मान सहित मिष्टवचन वोल अर्द्धासन दे पाप बैठे। प्रियकारिणीने मुदितमनसे सोलह स्वप्नोंका हाल कहा और प्रश्न किया कि महाराज ! इन स्वप्नोंका क्या फल प्राप्त होगा राजा सिद्धार्थ थोड़ी देर ठहर अवधिज्ञानसे विचार कहने लगे कि हे प्रिये ! तुमने हाथी देखा उसका फल यह है कि तुम्हारे । तीर्थकर पुत्रका जन्म होगा, बैल देखनेसे वह जगत्का ज्येष्ठः महाधर्मरूपी रथका चलानेवाला होगा, सिंह देखनेसे अनंतवीर्य का धारी कर्मरूपी हाथियोंके यूथका घातक होगा, लक्ष्मीदेवीका अभिषेक देखनेसे इस पुत्रका जन्माभिषेक इन्द्रादिकदेव सुमेह- . पर्वतके ऊपर करेंगे. दो. पुष्पमाला देखनेसे इसका देह प्रतिनुगंधित होगा और यह सत्यधर्मके ज्ञानका फैलाने वाला होगा,पूर्ण चन्द्र देखनेसे बुद्धिमानोंके हृदयमें सद्धर्मरूपी अमृतका वर्षा करनेवाला होगा, सूर्यमंडल देखनेसे अज्ञान अंधकारका नाशक परमतेजःपुंज होगा, दो कुम्भ देखनेसे तीन ज्ञानका धारी शान ध्यानरूपी अमृतका धारक होगा, दोमत्स्य देखनेसे आपमहासुखी और विश्वको सुखकर्ता होगा, प्रफुल्लित कमल युक्त सरोवरके देखनेसे मनोहर लक्षण और चिन्होंसे शोभित होगा, गंभीर समुद्र . देखनेसे नवकेवललन्धिधारी केवलशानी होगा, सिंहासन देखने से साम्राज्य पदके योग्य जगतका गुरु होगा, स्वर्गका विमान देखनेले उसका आत्मा स्वर्गसे आकर जन्म लेगा, नागेन्द्रका भवन देखनेसे वह अवधिज्ञानधारी होगा, रतनराशि देखनेसे : ब्रत आदि रत्नोंका स्वामी होगा तथा अग्नि देखनेसे कर्म मलको जलावेगा ।..
SR No.010334
Book TitleJain Bal Bodhak 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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