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________________ १.४ जैनवालबोधक२४. श्रीवर्द्धपान भगवान । वर्द्धमान जसवर्द्धमान अच्युत विमान गति । नगर झुंडपुर धार, सार सिद्धारथ भूपति । रानी-प्रियकारिणी, वनी कंचन विकाया । . . श्राव बहत्तर घरस, जोग खरगासन ध्यावा ॥ तनसात हाथ मृगनाथपति तुमते अवजौं घरम जर! सिरनाय नमो जुग जोरिकर, भो जिनंद भवताप हर ॥ २४ ॥ नाम-श्रीवर्द्धमान वा महावीर । पिता-सिद्धारयराजा । माता-प्रियकारिणी अपरनाम त्रिशलादेवी । लन्छनसिंहका । जन्मस्थान- कुंडलपुर। पूर्वजन्मस्थान अच्युत स्वर्ग! शरीरका रंग: कंचनमय । आयु-बहत्तरवरस । शरीरकी ऊंचाई सात हाय ! खड्गासनसे मुक्तिगमन ॥ २४॥ २५ । समुच्चयत्तीर्यकर नाप स्मरण । रिपभ अजित संभव अभिनंद सुमति पदमसम । जिन लुपास प्रभुचंद, सुविधि सीतल श्रेयांस नम : वासुपूज्यजी विमल, अनंत धरम पंदरमा । शांति कुंथु, अर मरिज सु मुनिसोधिरत वीसमा। नमि नेमि पास वीरेसपद, प्रष्टसिद्धि नवरिद्धि घर । . सिरनाय नमो जुग जोरिकरि भो जिनंद भवतापहर ! २५ .....पांच बालब्रह्मचारी तीर्थकर। . ..: . वासुपूज्य सुरपूज्य, मल्लि विधिमल्ल जयंकर। . . . ___नेमि देह यमनेम, पास भौ पास इयंकरः । ; . : 1 - 4
SR No.010334
Book TitleJain Bal Bodhak 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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