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________________ चतुर्थ भाग । भूप सुदरसन सार, मित्रसैना माता भन ॥ 'हस्तिनागपुर प्राय, चापतन तीस विराजै । · • • १०१ थिति चौरासी सहस वरस, कंचन छवि छाजै ॥ खरगासन लंकन मीन शुभ, चैन जलदसर भविक भर । . सिरनाय नमीं जुग जोरिकर, भो जिनंद भवताप हर ॥ १८ ॥ नाम - धरनाथ । पिता - सुदरसनराय । माता -मित्रसैना । आये - जयंत विमानसे । जन्मनगर- हस्तिनापुर जच्छन- मीन । · शरीरका रंग - कंचनमय शरीरकी ऊचाई- तीस धनुष ! आयु चौरासी हजार चरस । मुक्ति-खड्गालनसे। ये भी चक्रवर्ती थे ॥ १८ ॥ १९ । श्रीमल्लिनाथ तीर्थकर । मल्लिकर मरिपुमल्ल. थान अपराजित जानो । 1. मिथिलापुर अवतार, सार घंट चिन्ह पिछानो ॥ - कुंभराजमहराज, खरग आसन सरदहिये । धनुप पचीस शरीर, सहस पचपन थिति लहिये । देवी प्रजावती कनकतन, अमल अचल अविकल अजर । शिरनाय नमौ जुग जोरिकर, भो जिंनंद भवताप हर ॥१६॥ नाम - श्रीमल्लिनाथ, पिता-कुंभराज महाराज, माता-प्रजावतीदेवी | आये - अपराजित विमानसे । जन्मस्थान- मिथिलापुर, लच्छन: घटका । शरीरका रंग सुनहरी । शरीरको ऊंचाई- पचीस धनुष । आयु पचपन हजार वर्षकी । मुक्तिगमन - खड़गासन से ॥११॥ २० । श्रीमुनिसुव्रत तीर्थंकर | मुनि सुव्रत व्रतवर्ग, स्वर्ग प्रानतके थानी ।.
SR No.010334
Book TitleJain Bal Bodhak 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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