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________________ जनवालबोधक खरगासन कौसलपुर जनम, कुशल तहां भाठों पहर । सिरनाय नमः जुग जोरिकर, भो जिनंद भवताप हर ॥ १४ ॥ नाम - श्रीमनंतनाथ | पिता सिंहसेन । माता - - जयश्यामा | 1 Sap जन्मनगरी - कौशलपुर । लच्छन-सेही । शरीरका रंग- कनकसा। शरीर की ऊंचाई पचास धनुष । आयु-तीस लाख वरस | पूर्व जन्मस्थान - सोलहवां स्वर्ग । मुक्ति-खड्गासन से ॥ १४ ॥ १५ | श्रीनाथ तीर्थकर । ૪ „ धर्म धर्म परकास, वास सरवारथ सिध भुव । भान राज जसख्यात, मात सुप्रभा देवि हुव ॥ खरगासन निहपाप, चाप चालीस पंचतन | आव लाख दशवरस, सरस कंचनमय है तन ॥ लखि वज्र चिन्ह शुभ रतनपुर, पार न पावै सुर निकर । सिर नाय नम जुग जोरिकर, भो जिनंद भवताप हर ॥ १५ ॥ नाम --- श्रीधर्मनाथ । पिता भानुराज माता - सुप्रभा देवी । जन्म नगरी - रतनपुर। पूर्व जन्मस्थान - सर्वार्थसिद्धि । लच्छनबज्रका । शरीरका रंग- सुवर्णमय । शरीरकी ऊंचाई- पैतालीस धनुष । प्रायु-दश लाख वरस । मुक्ति-खड्गासन से ॥ १५ ॥ १६ | शांतिनाथ तीर्थंकर । शांति जगत सब शांति भोगि सरवारथ सिधि रिवि । काम देव तन कनक, रतन चौदों नवों निधि ॥ विश्वसेननृप तात, मात ऐरा मृग लच्छन । हथनापुर मैं श्राय, पाय चालीस धनुष तन ॥ •
SR No.010334
Book TitleJain Bal Bodhak 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
PublisherBharatiya Jain Siddhant Prakashini Sanstha
Publication Year
Total Pages375
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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