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निवेदन ।
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जैन विद्यालय और पाठशालाओं में सुलभताके साथ वास्तविक शिक्षाका प्रचार हो सके इस लिए सस्थाक जन्मदाता सुप्रसिद्ध अनुभवी लेखक श्रीमान् पं० पन्नालालजी बाकलीवालकृत यह जैन'बालबोधकका तीसरा भाग सुलभजैन ग्रंथमाला में झालरापाटणनिवासी शेठ विनोदीरामजी बालचंदजीकी द्रव्यसे उनके स्वर्गीय सुपुत्र श्रीमान् शेठ दीपचंदजीके स्मरणार्थ ( मकरध्वजपराजय ग्रंथकी आई हुई न्योछावर से ) छपाया जाता है । आशा है; शिक्षा संस्थाओंके अभिभावक इससे लाभ उठावेंगे ।
विनीत---
श्रीलाल जैन ।
मंत्री,