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जैनवालवोधकपडते हैं। इसलिए सुख चाहने वाले पुरुषोंको क्रोध मान पाया लोभादि प्रमादोंके वशीभूत हो हिंसा, चोरी-मूठ, कुशील आदि पापोंको छोडकर अहिंसादि पांच अणुव्रत धारण करना चाहिये।
इस कहानीसे बालकोंको यह शिक्षा लेनी चाहिये कि जवतक कि वे अपने प्राय गहनों की रक्षा करने में समर्थन हो जांय तबतक उन्हें कोई भी गहना नई पहाना चाहिये । वालकोंका रात दिन मन लगाकर विद्या पढना ही उत्तम गहना है।
६ दूध.
जन्मसे लेकर वरस डेढ वर्ष तक वालकोंको एक मात्र दूध हीका सहारा होता है । दूध न मिले तो उनका जीना कठिन हो जाय । सबसे बढकर माताजा दूध होता है । यदि माताके कमजोर होने पर माताका दूध न मिले तो गाय या वकरीका दूध भी पिलाया जाता है । वडे होने पर भैंस का दूध भी पिया जाता है परन्तु गायके दूधकी बराबर निदोष गुणकारक दूध भैसका नहिं होता।
ताजा दूध सबसे अच्छा भोजन है और देर तक रक्खे रहनेसे अर्थात् एक मुहूर्तके (४८ मिनिटके ) पश्चात वह बिगड जाता है उसमें चलते फिरते त्रसजीव पैदा हो जाते हैं ऐसा दूध गरम करके पीने पर भी शरीरको रोगी