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जैनवालवोलधक
कहा कि ये गहने तो मैंने अपनी सासुको दिये थे आपपर कैसे आगये ? यह सुन यमदंड विचारने लगा कि जिसके साथ मैंने भोग किया है वह मेरी माता थी, परन्तु उसे तो ऐसा चसका लग गया कि माताके साथ ही उसी स्थानपर नित्य जाकर कुकर्म करने लगा जब उसकी स्त्रीको इसका पूरा पता चल गया तो उसने एक दफे बातचीत में चागकी मालिनसे कह दिया कि मेरा पति खास अपनी मातासे भोग करता है, मालिनने जाकर राजा कनकरथकी रानी कनकमाला से कह दिया । कनकमालाने यह सब अपने स्वामी कनकरथसे कह सुनाया परन्तु राजाने इस वातकी ठीक खोज करनेके लिये अपने दूनोंको भेजा और उनने वहां जाकर वैसा ही देखा जैसा राजाने सुन रक्खा था, आकर राजासे निवेदन कर दिया। महाराजने यमदंडको बुलाकर खूब सजादी जिससे वह मरकर नरक गतिको गया । ठीक है जो मनुष्य अपनी स्त्रीको छोडकर दूसरोंके साथ भोग करते हैं वे पापका संचय करके दुःख पाते हैं परंतु जो अपनी माताको ही स्त्री समझ बैठते हैं उनकी तो कहानी - ही क्या है ?
५८. मद्यपान निषेध |
मद्य ( मदिरा शराब ) एक अतिशय अपवित्र और दुर्गंधमय पदार्थ होता है। क्योंकि वेरी के पेडक़ी जड, महुआ