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बीयं अभय
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(५) दंसमसयपरी सहे
समरेव महामुनी |
पुट्ठो य दंसमस एहिं नागो संगामसीसे वा सूरो अभिहणे परं ॥ १० ॥ न संतसे न वारेज्जा मणं पि न पओसए । उवेहे न हणे पाणे भुं जन्ते
मंससोणियं ॥ ११ ॥
(६) अचेल परीसहे
: परिजुण्णेहि वत्थेहि होक्खामि त्ति अचेलए । अदुवा सचेलए होक्खं इइ भिक्खू न चिन्त ॥ १२ ॥ एगयाज्चेलए होइ सचेले यावि एगया । नाणी नो परिदेवए ॥ १३ ॥
एयं धम्महियं नच्चा
(७) अरइपरी महे
रीयन्तं अणगारं अकिंचणं ।
गामाणुगामं अरई अणप्पविसे तं तितिक्खे परीसहं ॥ १४ ॥ अरई पिट्ठओ किच्चा विरए आयरवििखए । धम्मारामे निरारम्भे उवसन्ते मुणी चरे ।। १५ ।।
(= ) इत्थीपरीसहे
संगो एस मणस्साणं जाओ लोगंमि इत्थिओ | जस्स एया परिन्नाया सुकडं तस्स सामण्णं ।। १६ ।। एवमादाय मेहावी पंकभूया उ इत्थिओ | नो ताहि विणिहन्नेज्जा चरेज्जत्तगवेसए ।। १७ ।।
(e) चरियापरीस हे :
एग एवं चरे लाढे
अभिभूय परीसहे । गामे वा नगरे वावि निगमे वा रायहाणिएं ॥ १८ ॥
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