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खन्धा य खन्धदेसा य तप्पएसा तहेव य । परमाणुणो य वोद्धव्वा रूविणो य चउव्विहा || १० ||
एगत्तेण पुहत्तेण खन्धा य लोएगदेसे लोए य भइयव्वा ते
उत्तरज्भवणं
सुहुमा सव्वलोगंमि लोगदेसे य वायरा । इत्तो कालविभागं तु तेसि वुच्छं चउन्विहं ॥ १२ ॥
असंखकालमुक्कोसं एगं समयं अजीवाण य रूवीणं ठिई एसा
परमाणुणो ।
उं खेत्तओ ॥ ११ ॥
संतई पप्प तेऽणाई अपज्जवसिया विय । ठि पडुच्च साईया सपज्जवसिया वि य ।। १३ ।।
अणन्तकालमुक्कोसं एगं समयं अजीवाण य रूवीण अन्तरेयं
जहन्निया । वियाहिया || १४ ||
जहन्नयं । वियाहियं ॥ १५ ॥ ।। ।।
वण्णओ गन्धओ चेत्र रसओ फासओ तहा । संठाणओ य विन्नेओ परिणामो तेसि पंचहा ।। १६ ।।
वण्णओ परिणया जे उ पंचहा ते पकित्तिया । किण्हा नीला य लोहिया हालिद्दा सुक्किला तहा ॥ १७ ॥ गन्धओ परिणया जे उदुविहा ते वियाहिया । सुठिभगन्धपरिणामा दुब्भिगन्धा तहेव य ॥ १८ ॥
रसओ परिणया जे उ पंचहा ते पकित्तिया । तित्तकडुयकसाया अम्विला महुरा तहा ॥ १९ ॥
फासओ परिणया जे उ अट्टहा ते पकित्तिया । कक्खडा मउया चेंव गरुया लहुया तहा ॥ २० ॥