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बत्तीसइमं अज्झयणं.
२२६ - जे इन्दियाणं विसया मणन्ना, न तेसु भावं निसिरे कयाइ। ... न याऽमणुन्नेसु मणं पि.कुज्जा, समाहिकामे समण तवस्सी ।। २१ ।। चक्खुस्स रूवं गहणं वयन्ति, . तं रागहेउं तु मणुन्न माहु। तं. दोसहेउं अमणुन्नमाहु, समो य जो तेसु स वीयरागो ।। २२ ।। रूवस्स चक्खु गहणं वयन्ति, चक्खुस्स रूवं गहणं वयन्ति ।.... रागस्स हेउं समणुन्नमाहु, दोसस्स हउं अमणुन्नमाहु ।। २३ ।।
रूवेसु जो गिद्धिमुवेइ तिव्वं, · अकालियं पावइ से विणासं। रागाउरे से जह वा पयंगे, आलोयलोले समुवेइ मच्चु ।। २४ ॥ जे यावि दोसं समुवेइ तिव्वं, तंसि वखणे से उ उइ दुक्खं । . : . दुद्दन्तदोसेण सएण जन्तू, न किंचि रूवं अवरज्झई से ॥ २५ ।। एगन्तरत्ते रुइरंसि . रूवे अतालिसे से कुणई पओसं । । दुक्खस्स संपीलमुवेइ वाले, न लिप्पई तेण मुणी विरागो !। २६ ।। रूवाणगासाणगए य जीवे चराचरे हिंसइ उणेगरूवे। .. चित्तेहि ते परितावेइ. वाले पीलेइ अत्तगुरू किलिट्ठ ॥ २७ ॥ रूवाणुवाएण परिग्गहेण उपायणे रत्रखणसन्निओगे। वंए विओगे य कहिं सुहं से ? संभोगकाले य अतित्तिलाभे ॥ २८ ॥ रूवे अतित्ते य परिग्गहे य सत्तोवसत्तो न उवेइ तुटिं। ' ... अतुट्टिदोसेण दुही परस्स लोभाविले आययई अदत्तं ।। २६ ॥ तण्हाभिभूयस्स. अदत्तंहारिणो रूवे अतित्तस्स परिग्गहे य ।
मायामुसं वड्ढइ लोभदोसा तत्थाऽविदुक्खा न. विमुच्चई से ॥ ३० ॥ . मोसस्स पच्छा य पुरत्थओ य पओगकाले य दुही दुरन्ते ।
एवं अदत्ताणि समाययन्तो रूवे अतित्तो दुहिमओ अणिस्सो ।। ३१ ।।